बेटियों के नाम एक कहानी
पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए पिता की अंतिम यात्रा के दौरान बेटियों ने जमकर डांस किया। गुटखा किंग के नाम से मशहूर प्रसिद्ध उद्योगपति हरिभाई लालवानी की अंतिम यात्रा के दौरान यह दृश्य दिखा। इस दौरान ढोल और नगाड़ों की थाप पर लोग डांस करते दिखे। जश्न मनाने वालों में सबसे आगे हरिभाई की चारों बेटियां थीं। पिता को कंधा देते समय अच्छे-अच्छों के पैर डगमगा जाते हैं लेकिन चारों बहादुर बेटियों की हिम्मत देख शहर के लोग आश्चर्यचकित रह गए।
शनिवार को नोएडा एंट्रेप्रीनिर्योस एसोसिएशन (एनईए) के पूर्व अध्यक्ष रहे हरिभाई लालवानी (65) की अंतिम यात्रा में शामिल लोग ऐसे दृश्य के गवाह बने, जो कम देखने को मिलता है।
दोपहर के वक्त हरिभाई के सेक्टर-40 स्थित घर से अंतिम यात्रा शुरू होने से पहले ही बाहर ढोल नगाड़े लिए लोग खड़े थे। लोगों को यकीन नहीं हो पा रहा था कि हरिभाई की चार पुत्रियों में इतना साहस होगा कि वह पिता की अंतिम यात्रा पर आंसू नहीं बहाएंगी और अपने पिता की अर्थी पर कंधा देते वक्त डांस भी करेंगी। सब कुछ हरिभाई की इच्छा के मुताबिक हुआ घर से लेकर अंतिम निवास तक यही लगा रहा कि मानो कोई शादी का जश्न हैं।
लोग अच्छे कपड़े पहने हुए थे। किसी के आंखों में आंसू नहीं थे। हरिभाई के मित्रों को अंदर से मित्र बिछुड़ने का गम तो था लेकिन वह भी अपने मित्र की इच्छा को पूरी करने के लिए मुस्कराते ही रहे। रिश्तेदार भी गम को अंदर ही अंदर छिपाए, इसमें शामिल रहे। अंत में बेटियों ने मुखाग्नि भी दी।
दरियागंज दिल्ली में एक छोटे से पान के खोखे से कारोबार शुरू करके मुंबई तक कारोबार फैलाने वाले हरिभाई ने अपना जीवन शान से जिया।
उनकी चार बेटियां अनीता, दीप्ती, रसिका और यामिनी (चारों शादीशुदा) हैं। परिजनों की मानें तो हरिभाई शुरू से ही वह कहते थे कि उनकी बेटियां, बेटों से कम नहीं हैं।
करीब 20 साल पहले जब वे एनईए के अध्यक्ष थे तो उन्होंने सेक्टर-94 में अंतिम निवास बनवाया था। जहां पर पेड़ पौधों के साथ-साथ भक्तिमय संगीत हमेशा बजता रहता है। वो कहा करते थे कि अंतिम निवास में ही आना है।
परिवार व मित्रों से उन्होंने शुरू में ही कहा था कि मेरे मरने पर कोई आंसू नहीं बहाएगा। जश्न उस तरह का होना चाहिए, जिस तरह से जब वे पैदा हुए थे तो परिवार ने खुशियां बनाई थीं। जैसी उनकी इच्छा, ठीक वैसे ही लोगों ने करके भी दिखा दिया। इसमें सबसे बड़ी हिम्मत का काम उनकी चार बेटियों ने किया है। मिसाल कायम कर दी, जिसको दोहराने की हिम्मत जुटाना आसान नहीं है।
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