Piles and Fistula

Piles पाइल्स (बवासीर)और Fistula फिस्टुला(भगंदर) :- मेरा अनुभव [भाग - 1] प्रस्तावना(introduction) :- पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जो खान पान में अनियमितता के कारण उत्पन्न होती है।पाइल्स की बीमारी 90% लोगों को है लेकिन जिन लोगों का पाचन दुरुस्त होता है उनकी बीमारी तुरंत नहीं उभरती बल्कि बुढ़ापे में आती है।क्योंकि यह गुदा की बीमारी है इसलिए लोग इसे गुप्त ही रखते हैं मुझे रोज़ या कभी कभी मिलने वाले 70% लोग इससे पीड़ित निकले । मुझे कब्ज़ की शिकायत थी, मैं रोज़ 10 से 15 मिनिट शौचालय में बैठा रहता था।       * कब पता चला - क़रीब साल भर पहले मुझे गुदा(anus) में खुजली सी होने लगी ।मैंने सोचा कि मुझे कृमि हो गई है तो मैने कृमिनाशक albendezol टेबलेट ली ।दो टेबलेट लेने बाद भी हालत लगभग वैसी ही थी ।फिर 3 महीने पहले ये खुजली बढ़ने लगी ।पास के एक क्लीनिक में जाकर चेक उप कराने पर पता चला कि मुझे पाइल्स है ।पाइल्स दो प्रकार की होती है 

1. ख़ूनी पाइल्स, जिसमें खून निकलता है
2. बादी पाइल्स, जिसमें खून नही निकलता बल्कि गुदा के 1 या 2 इंच नीचे मस्से होते हैं जो खुजली पैदा करते हैं।मुझे यही पाइल्स थी ।
* मैंने क्या किया - पाइल्स का पता चलते ही मैंने डॉक्टर की सलाह से pilex टेबलेट और क्रीम use करना शुरू कर दिया।लगभग 3 महीने तक इन दवाओं का उपयोग करने पर भी आराम नहीं लगा ।फिर मेने किसी के कहने पर एक पंडित जी से पाइल्स की आयुर्वेदिक दवाई लेना शुरु किया ।वो भी कोई काम नहीं कर पाई । (दवाओं का काम नहीं कर पाना मेरी गलती से हुआ क्योंकि मैं ये नहीं समझ पाया कि मुझे पेट साफ रखना है बल्कि मैं अंडे और इलाइची का सेवन करता रहा।जो पेट की गर्मी को बढ़ाती है।हालांकि डॉक्टर ने मुझे पेट साफ़ रखने की सलाह दी थी और dulcolex खाने को कहा था पंडित ने भी पेट साफ करने का चूर्ण दिया था ।)
पाइल्स के लक्षण : - बवासीर के कुछ लक्षण निम्न हैं: • दर्दनाक मल त्याग जिससे मलाशय या गुदा को चोट पहुंच सकती है। • मल त्याग के दौरान ब्लीडिंग होना। • गुदा से एक बलगम जैसा स्राव निकलना। • गुदा के पास एक दर्दनाक सूजन या गांठ या मस्से का होना। • गुदा क्षेत्र में खुजली जो लगातार या रुक रुक कर हो सकती है। पाइल्स के कारण : - - पाइल्स होने का प्रमुख कारण कब्ज़ है। कब्ज़ की वजह से मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है जिससे गुदा के पास वाली रक्त नलिकाओं पर दबाव पड़ता है जिससे उनमें सूजन आने लगती है और ये बवासीर बन जाती है।
- प्रेगनेंसी के दौरान भी कुछ महिलाओं को बवासीर की समस्या हो जाती है। गर्भावस्था में शरीर में हार्मोन में बदलाव आने और पेट में पल रहे बच्चे के दबाव के कारण गुदा के पास की नसों पर दबाव पड़ता है।
- उम्र बढ़ने की वजह से भी ये रोग हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ साथ गुदा का अंदरूनी भाग कमजोर होने लगता है। जिससे बवासीर की शिकायत होने लगती है।
- ज्यादा वजन उठाते समय सांस रोक कर रखे से गुदा पर पड़ने लगता है जिससे बवासीर की शुरुआत होने लगती है।
- गैस मल और मूत्र आने पे इसे अधिक समय तक रोकना नहीं चाहिए इससे भी piles हो सकती है।
- लम्बे समय तक बिना हिले डुले एक ही जगह बैठे रहने वाले लोगो को बवासीर जल्दी होती है।
- ज्यादा तला हुआ, मसालेदार और जंक फूड खाने से पाचन तंत्र कमजोर होता है जिससे कब्जे की शिकायत होती है। अच्छा आहार ना लेना पाइल्स होने की अहम् वजह है।
- तंबाकू, धूम्रपान और शराब का सेवन करना भी पाइल्स होने का मुख्य कारण है ।

क्रमशः

* पाइल्स का पता चलते ही मैंने pilex ट्यूब और टैबलेट का use करना शुरु कर दिया ।
साथ ही sitz bath यानि गरम पानी में गुदा तक बैठना,
लेना शुरु कर दिया।
- शारिरिक कमजोरी के कारण मैं रोज़ अण्डे खाने लगा
और पेट साफ करने के लिए इलाइची का सेवन करने
लगा ।जो मेरी ग़लती थी ।क्योंकि शरीर में गर्मी बढ़ने
से मुझे अचानक पाइल्स के साथ गुदा पर एक बंद मुँह
की फुंसी महसूस होने लगी।ये ही फिस्टुला या भगंदर
थी।
- मैंने net पर सर्च किया और तुरंत डॉक्टर के पास
पहुंचा, मेरा सोचना सही था मुझे फिस्टुला हो चुका था।
-अब मुझे डर लगने लगा क्योंकि फिस्टुला का आतंक
में पढ़ चुका था।
फिस्टुला(भगंदर) : - गुदा द्वार के पास एक बंद मुँह की
फुंसी जिसके अंदर का द्रव या पीप अंदर ही अंदर जा
कर गुदा में नया गुदा मार्ग बना देता है।जो बहुत दर्दनाक
होता है।ये पीप जिस जगह जाता है वहां की नसों को
गला के गहरा नासूर बना देता है।
मेरे लिए बस इतना ही जानना काफी था ।मैंने के लोगों
से सलाह ली किसी ने दवाओं के बारे में बताया तो
किसी ने बंगाली डॉक्टर के बारे में ,परन्तु में सावधान
था जो इंजेक्शन वाले इलाज से बच गया क्योंकि ये
विधि बेहद खतरनाक है जिससे कैंसर का ख़तरा बन
जाता।
【इन्जेक्शन द्वारा केवल बवासीर की शुरुआती अवस्था में लाभ मिल सकता वो भी तब जब इन्जेक्शन किसी क्वालीफाईड़ डॉक्टर द्वारा लगाया गया हो।
* यह इन्जेक्शन वास्तव में एक केमिकल फीनॉल/कार्बोलिक एसिड व बादाम के तेल का मिश्रण है, जिससे छोटे बवासीर के मस्सों की जड़ में एक विशेष प्रकार की सुई द्वारा लगाया जाता है। इस केमिकल के प्रभाव से मस्सा सिकुड़ जाता है तथा उससे खून निकलना बन्द हो जाता है।
* इन्जेक्शन चिकित्सा करवाने के बाद भी बवासीर फिर से दोबारा होने की काफी सम्भावना रहती है। अतः यह स्थायी चिकित्सा नहीं है।
* प्रायः हमारे देश में बवासीर का इन्जेक्शन द्वारा इलाज करने वाले फर्जी डॉक्टरों की भरमार है, जो शहरों में होटलों में हफ्ते में एक या दो दिन आकर भोलेभाले लोगों को विज्ञापनों के माध्यम से साकर पैसा बनाते
हैं।
* इन फर्जी डॉक्टरों को बीमारी की डायग्नोसिस आदि का भी कोई विशेष ज्ञान नहीं होता, बीमारी चाहे बवासीर हो या फिशर या भगन्दर या गुदा की कोई अन्य बीमारी ये सबमें इन्जेक्शन ठोक देते हैं। ये फर्जी
डॉक्टर हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण खुलेआम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
* अन्य बीमारियों जैसे भगन्दरफिशर आदि में इन्जेक्शन लगाने पर लाभ के बजाय हानि होती है, तथा रोग की विकटता और बढ़ जाती है।】

चिकित्सा या ईलाज :- पाइल्स और फिस्टुला के इलाज
की कई विधियां है जैसे
1. औषधि द्वारा - केवल शुरुआती लक्षण होने पर
पाइल्स का दवाइयों से इलाज किया जा सकता है परन्तु
जड़ से नहीं हटा सकते हैं ।फिस्टुला दवाइयों से ठीक
नहीं होता है ।
2. सर्जरी द्वारा - गुदा की इन बीमारियों के लिये
एलोपैथिक सर्जरी की जाती है परन्तु ये महंगी होती है
तथा दुबारा पाइल्स होने की संभावना बनी रहती है।
- स्क्लेरोथेरपी (Scelotherapy) - एक दवाई दी जाती है जिससे बवासीर सिकुड़ जाता है - और अंत में सूख जाता है। यह बवासीर के ग्रेड 2 और 3 में प्रभावी है, यह बैंडिंग का विकल्प है।
- इंफ्रारेड कोएगुलशन (Infrared coagulation) - इसे इंफ्रारेड लाइट कोएगुलशन भी कहतें हैं। इसका इस्तेमाल बवासीर की ग्रेड 1 और 2 में किया जाता है। यह एक तरह का यन्त्र है जिससे बवासीर के मस्सों की जमावट को रोशनी द्वारा जला दिया जाता है।
- जेनेरल सर्जरी  - इसे बड़ी बवासीर में इस्तेमाल किया जाता है या ग्रेड 3 या 4 की बवासीर में इस्तेमाल किया जाता है। अधिकतर सर्जरी तब की जाती है जब दूसरी प्रकिरियाओ से आराम नहीं पड़ता। कभी-कभी सर्जरी आउटपेशेंट (outpatient) प्रक्रिया की तरह की जाती है, यानी जिसमें मरीज़ सर्जरी की प्रक्रिया पूरी होने पर घर जा सकता है।
- हेमोर्रोइडेक्टमी (Hemorrhoidectomy) - बहुत सारे ऊतक (tissue) जिनकी वजह से खून आ रहा है उसे सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है। इसे बहुत सारे तरीकों से किया जाता है। इसमें स्थानीय एनेस्थेटिक (anesthetic), बेहोश करने की प्रक्रिया, रीढ़ की हड्डी में दिया जाने वाला एनेस्थेटिक और सामान्य अनेस्थेटिक का मेल इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह की सर्जरी बवासीर को जड़ से मिटाने में कारगर है, लेकिन इसमें जटिलताएं पैदा होने का जोखिम है, जैसे की मल निकलने में दिक्कत और मूत्र पथ में संक्रमण।
3. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की क्षार सूत्र विधि द्वारा
जिसमें मस्सों को धागे से बांध दिया जाता है और वो
कुछ दिनों में झड़ जाते हैं । फिस्टुला का इलाज भी इसी
धागे से करते हैं जिसे फिस्टुला के घाव में डाल कर बांध
देते हैं और 7-8 दिन में फिस्टुला जड़ से चला जाता है।
इस विधि में कम खर्च होता है और पाइल्स,फिस्टुला
दोबारा नहीं होते हैं।
क्रमशः 

Comments

  1. Thanks for sharing very useful post. Herbal treatment for piles targets the root cause of piles rather than symptoms. It does not cause any side effect.

    ReplyDelete
  2. Very good post, giving complete details regarding natural remedies of piles.

    ReplyDelete
  3. Nice Blog Post !!! Ayurvedic treatment for piles is a natural treatment. It has no side effects and the chance of reoccurring the problem is very less. Thanks For Sharing

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Acknowledgement sample for school project

Adjective : degrees of comparison