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जलजीरा गर्मियों में फायदेमंद

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आप जब चाहें जलजीरा पी सकते हैं, वो भी बिना कैलोरी की चिंता किए! इसलिए अगर आप वेट लॉस कर रहे हैं तो सोडा ड्रिक पीने से बेहतर है आप जलजीरा पियें। ये आपके शरीर के सिस्टम को डिटॉक्सीफाई करता है और शरीर को हाईड्रेट रखता है। अब तक तो आप जलजीरा के फायदों को जानकर उसे पीने का मन बना ही चुके होंगे। अगर ऐसा ही है। तो बाज़ार से जलजीरा का पैकेट लेने न निकल जाए बल्कि घर पर जलजीरा बनाएंताकि वो हेल्दी हो। वजन को घटाने में इसका अहम् रोल होता है। यह मोटापे को control करता है और पाचन तंत्र को संतुलित करता है। जो लोग शरीर की चर्बी से परेशान हैं उन लोगों के लिए जलजीरा पीना स्वस्थ्य लाभ है। यह शरीर के मोटापे को कम करता है और शरीर को चुस्त और तंदुरस्त करता है। और भी कई सारे फायदे होते हैं जलजीरा के जिन्हे हम आपको यह विस्तार करके बताने वाले 1. गैस कब्ज से रहत दे :- जलजीरा का पानी पीने से गैस और कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। जब भी कच्चा खाना, या ज्यादा खाना खा लेता है तो पेट में गैस होनी शुरूहो जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए जलजीरा का पानी बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा अगर तनाव या चिड़चिड़ापन

HEAT STROCK

"लू लगना" लू लगने से मृत्यु क्यों होती है? हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है। पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है। पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है।( बंद कर देता है ) जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है। शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है . स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं। शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है। व्यक्ति कोमा में चला जाता

भारत की एक समस्या

एक कड़वा सच 1990 के आसपास की बात है। जो भी प्रतिभावान बच्चे अच्छे Engineering, Medical, Law, Accounts या अन्य किसी भी Field से अपनी पढ़ाई पूरी करते, विदेशी कम्पनियाँ तुरन्त Toppers को भर्ती करके विदेश ले जाती। ये दौर बहुत ज्यादा Competition का दौर था। प्रतिभा पलायन (Brain Drain) एक राष्ट्रीय समस्या और ज्वलंत मुद्दा बन चुका था। TV, अख़बारों, रेडियो, सभाओं, संगोष्ठी और Debates में छाया हुआ मुद्दा। राष्ट्र में रहकर युवा भले ही राष्ट्र की सेवा ना कर पा रहे थे, किन्तु भारत की विश्वगुरु की पहचान फिर से ज़िन्दा हो रही थी। संसार स्तब्ध था और धीरे-धीरे विश्व के सभी सम्मानित संस्थानों पर भारतीय युवा Doctors, Engineers, Professors, Scientists, CEO आदि-आदि के रूप में कब्जा जमाते जा रहे थे। आपके जितने भी जानकार विदेशों में Set हैं, उनमें से ज़्यादातर की Graduation 1990 से 2005 के बीच पूरी हुई होगी। आप खुद देख लीजिये। फिर से विश्व ने भारत के साथ छल किया। UNO के माध्यम से पैसे फेंककर भारत में No Detention Policy लागू करवाई और Universalisation of Elementary Education के नाम पर भारतीय शिक्षा की